चुड़ैल
चुड़ैल भारतीय उपमहाद्वीप और कुछ दक्षिण-पूर्वी एशिया के हिस्सों में लोककथा में एक प्रकार की दानव या राक्षसनी है। इनकी पहचान के लिये कहा जाता है कि ये उन महिलायों से बनती है जो प्रसव के समय मर जाती हैं। इनका रूप घिनौना और भयंकर बताया जाता है।[1] लेकिन वो सुंदर स्त्री का रूप भी धारण कर सकती है। उन्हें सिर्फ उनके उल्टे पैरों की वजह से पहचाना जा सकता है। इस मामले में इसकी डायन से कई समानताएँ हैं। हाल फिलहाल में महिलाओं को चुड़ैल बताकर उनपर जादू-टोना का आरोप लगाकर मारने के मामलें सामने आते हैं।[2]
चुड़ैल यह नाम छुदेल यह शब्द से लिया गया हैं। छुदेल यह पिशाच की एक जात हैं। यह मादा पिशाच होती हैं। जो मानवी रक्त पर जीती हैं। चुड़ैल के अनेक प्रकार हैं। 1)प्रतिकारी चुड़ैल-' कहा जाता स्त्री की मौत ३० साल से कम की उम्र में किसी मानव के हातो हो जाती हैं वह स्त्री की आत्मा अपना प्रतिशोध लेने के लिए मौत के दिन के बाद से १४ दिन तक पतालिका देवी की तपस्या करती हैं और १४वे दिन पतालिका देवी उसे प्रतिकारी चुड़ैल का वरदान देती हैं। यह वरदान उस आत्मा के पास सिर्फ प्रतिकार लिए तक ही रहता हैं। प्रतिकार लेने के बाद यह चुड़ैल मुक्त हो जाती। पर प्रतिकार लेते समय जो भी मनुष्य प्रतिकारी चुडेल और उसके दुश्मन के बिचमे आता हैं वह उसे भी मर देते हैं। प्रतिकारी चुड़ैल पटल की आग से निर्मित रहने के कारन पानी उसकी कमजोरी रहता हैं। प्रतिकारी चुड़ैल को सिर्फ और सिर्फ कैद किया जा सकता हैं। नहीं की उसे मारा जा सकता हैंi प्रतिकारी चुड़ैल की दूसरी कमजोरी वह हतियारया साधन होता हैं जिस से उस चुड़ैल की मौत हवी थी।
'2)माता चुड़ैल-'मोटे अक्षर कहा जाता हैंयह चुड़ैल 2 तरह की होती हैं एक जो औरत मा बने वाली रहती हैं प्रसूति के समय उस औरत की मौत हो जाती हैं वह औरत मौत के बाद माता चुड़ैल बनती हैं इस तारा की माता चुड़ैल अपने पेट के बचे की आत्मा के साथ बंधी हुवी रहती हैं। जहा भी बचे की रोने की आवाज़ आती हैं सैम लेना वह इस तरह की माता चुड़ैल हैं। जो भी बचे की आवाज़ सुनकर उस आवाज़ के पीछे जाता हैं थो माता चुड़ैल उस व्यक्ति की जान ले लेती हैं। उसे लगता हैं कोई उसके बचे को मरने आया हैं। यह चुड़ैल उन्ह औरतों पर कब्ज़ा कर सकती हैं जो मा बन्ने वाली हैं। सामन्यता इसकी कमजोरी सिर्फ इश्वर ही हैं। दुसरे तरह की माता चुड़ैल वह स्त्री की आत्मा होती जो अपने बचे के मोह में मर गयी। यह चुड़ैल हर बचे में अपना बचा देखती हैं इस लिए इस चुड़ैल को बचे बोहत प्यारे होते हैं।
'3)प्रेमा चुड़ैल'मोटे अक्षर- प्रेम बिरहा में जल रही आत्मा को प्रेमा चुड़ैल कहा जाता हैं। यह चुड़ैल जितनी खुबसूरत होती उतनी ही खातारंक यह चुड़ैल होती हैं। इस चुड़ैल की पहचान करना बोहत मुश्किल हैं। पर हा यह चुड़ैल वहा पाई जाती हैं जहा इसकी मौत हवी हो।
'चम्गाधर चुड़ैल -'मोटे अक्षर यह चुड़ैल जन्म से ही चुड़ैल होती हैं। इस के पैर चम्गाधर की तरह होते हैं। और बाकी सज=हरिर इन्सान की तरह होता हैं। यह चुड़ैल को इमली बोहत पसाद ल्रहती हैं इस लिए यह चुड़ैल ज़दाकर इमालिके पेड़ के उपर पे जाती हैं इस लिए इस चुड़ैल को इमली के पेड़ वाली चुड़ैल भी कहा जात हैं। यह चुदाई मानवी खून पर जिंदा रहती हैं। यह चुड़ैल की कमजोरी इमली और सोने के गहने हैं।
'वास्निका या मनमोहनी चुड़ैल'मोटे अक्षर - यह चुड़ैल उस और की आत्मा से उत्पन होती हैं जिस की शाररिक इच्छा जीतेजी पूरी ना हवी हो। या आत्मा नहीं होती हैंi यह चुड़ैल बेहद खुबसूरत होती हैं। जवान मर्दों को अपना शारीर दिखाना इस मनमोहिनी को बोहत अच लगता हैं। यह चुड़ैल जवान आदमियों को अपने हसन के जाल में फसाकर लगातार 9 दिन तक उन्ह के साथ रोज़ संभोग करती हैं और ९वे दिन उस आदमी की आत्मा अपने साथ ले जाती हैं। इस ही लिए इसे 9 दिन की चुड़ैल कहा जाता हैं। इससे बचने का तरीका हैं सयम और खुद पर काबू रखना।
चुड़ैल यह नाम छुदेल यह शब्द से लिया गया हैं। छुदेल यह पिशाच की एक जात हैं। यह मादा पिशाच होती हैं। जो मानवी रक्त पर जीती हैं। चुड़ैल के अनेक प्रकार हैं।
प्रतिकारी चुड़ैल
कहा जाता स्त्री की मौत ३० साल से कम की उम्र में किसी मानव के हातो हो जाती हैं वह स्त्री की आत्मा अपना प्रतिशोध लेने के लिए मौत के दिन के बाद से १४ दिन तक पतालिका देवी की तपस्या करती हैं और १४वे दिन पतालिका देवी उसे प्रतिकारी चुड़ैल का वरदान देती हैं। यह वरदान उस आत्मा के पास सिर्फ प्रतिकार लिए तक ही रहता हैं। प्रतिकार लेने के बाद यह चुड़ैल मुक्त हो जाती। पर प्रतिकार लेते समय जो भी मनुष्य प्रतिकारी चुडेल और उसके दुश्मन के बिचमे आता हैं वह उसे भी मर देते हैं। प्रतिकारी चुड़ैल पटल की आग से निर्मित रहने के कारन पानी उसकी कमजोरी रहता हैं। प्रतिकारी चुड़ैल को सिर्फ और सिर्फ कैद किया जा सकता हैं। नहीं की उसे मारा जा सकता हैंi प्रतिकारी चुड़ैल की दूसरी कमजोरी वह हतियारया साधन होता हैं जिस से उस चुड़ैल की मौत हवी थी।
माता चुड़ैल
कहा जाता हैंयह चुड़ैल 2 तरह की होती हैं एक जो औरत मा बने वाली रहती हैं प्रसूति के समय उस औरत की मौत हो जाती हैं वह औरत मौत के बाद माता चुड़ैल बनती हैं इस तारा की माता चुड़ैल अपने पेट के बचे की आत्मा के साथ बंधी हुवी रहती हैं। जहा भी बचे की रोने की आवाज़ आती हैं सैम लेना वह इस तरह की माता चुड़ैल हैं। जो भी बचे की आवाज़ सुनकर उस आवाज़ के पीछे जाता हैं थो माता चुड़ैल उस व्यक्ति की जान ले लेती हैं। उसे लगता हैं कोई उसके बचे को मरने आया हैं। यह चुड़ैल उन्ह औरतों पर कब्ज़ा कर सकती हैं जो मा बन्ने वाली हैं। सामन्यता इसकी कमजोरी सिर्फ इश्वर ही हैं।
दुसरे तरह की माता चुड़ैल वह स्त्री की आत्मा होती जो अपने बचे के मोह में मर गयी। यह चुड़ैल हर बचे में अपना बचा देखती हैं इस लिए इस चुड़ैल को बचे बोहत प्यारे होते हैं।
प्रेमा चुड़ैल
- प्रेम बिरहा में जल रही आत्मा को प्रेमा चुड़ैल कहा जाता हैं। यह चुड़ैल जितनी खुबसूरत होती उतनी ही खातारंक यह चुड़ैल होती हैं। इस चुड़ैल की पहचान करना बोहत मुश्किल हैं। पर हा यह चुड़ैल वहा पाई जाती हैं जहा इसकी मौत हवी हो।
चम्गाधर चुड़ैल
यह चुड़ैल जन्म से ही चुड़ैल होती हैं। इस के पैर चम्गाधर की तरह होते हैं। और बाकी सज=हरिर इन्सान की तरह होता हैं। यह चुड़ैल को इमली बहुत पसंद हैं इस लिए यह चुड़ैल ज़दाकर इमालिके पेड़ के उपर पे जाती हैं इस लिए इस चुड़ैल को इमली के पेड़ वाली चुड़ैल भी कहा जात हैं। यह चुड़ैल मानवी खून पर जिंदा रहती हैं। यह चुड़ैल की कमजोरी इमली और सोने के गहने हैं।
वास्निका या मनमोहनी चुड़ैल
- यह चुड़ैल उस और की आत्मा से उत्पन होती हैं जिस की शाररिक इच्छा जीतेजी पूरी ना हवी हो। या आत्मा नहीं होती हैंi यह चुड़ैल बेहद खुबसूरत होती हैं। जवान मर्दों को अपना शारीर दिखाना इस मनमोहिनी को बोहत अच लगता हैं। यह चुड़ैल जवान आदमियों को अपने हसन के जाल में फसाकर लगातार 9 दिन तक उन्ह के साथ रोज़ संभोग करती हैं और ९वे दिन उस आदमी की आत्मा अपने साथ ले जाती हैं। इस ही लिए इसे 9 दिन की चुड़ैल कहा जाता हैं। इससे बचने का तरीका हैं सयम और खुद पर काबू रखना।
सन्दर्भ
- "पाकिस्तान के हैदराबाद में दिखी चुड़ैल, मशहूर गायक ने FB पर शेयर की तस्वीर!". एनडीटीवी इंडिया. अभिगमन तिथि 26 सितम्बर 2017.
- "डायन-चुड़ैल बताकर मासूमों को मौत के मुंह तक ले जाने वाले बाबाओं की अब नहीं खैर". अमर उजाला. 25 सितम्बर 2017. अभिगमन तिथि 26 सितम्बर 2017.