तमसा
तमसा नदी भारत में प्रवाहित होने वाली सुप्रसिद्ध नदी है; परंतु यह किसी एक ही नदी के लिए सुनिश्चित नाम नहीं है। वस्तुतः इस नाम से प्रसिद्ध एक से अधिक नदियाँ हैं और इन सभी नदियों का नामांतर समान रूप से टौंस या टोंस भी है जिसे कि तमसा का ही अपभ्रंश अथवा अंग्रेजी उच्चारण का प्रभाव माना गया है।
हर की दून घाटी से निकलने वाली तमसा
यह उत्तराखंड राज्य की एक छोटी सी नदी है जो हर की दून घाटी से निकलकर देहरादून से 56 किलोमीटर दूर कालसी नामक स्थान पर यमुना नदी में मिल जाती है।[1]
दूसरी धारा

हिमालय से निकलने वाली तमसा नदी का वास्तविक उद्गम बन्दरपूँछ नामक स्थान में है। शिवालिक की पहाड़ियों से निकलने वाली इस नदी की दूसरी धारा का मुहाना उत्तराखंड के देहरादून में खुलता है। दृश्य रूप में नदी की यह धारा वस्तुतः देहरादून के गुच्छूपानी नाम से प्रसिद्ध स्थान से निकलती है। गुच्छूपानी वस्तुतः तमसा नदी का ही उद्गम स्थल है। यहाँ स्थित लगभग 600 मीटर लंबी गुफा डाकू की गुफा (रॉबर्स केव) के नाम से प्रसिद्ध है। यह गुफा वस्तुतः दो पहाड़ियों के बीच की एक संकीर्ण गुफा है, जिसकी चौड़ाई कहीं तो 10-12 फीट और कहीं 3-4 फिट भी हो जाती है। इसी के बीच से निकलते हुए पानी में उतरकर अत्यंत रमणीय दृश्यावली का अवलोकन करते हुए करीब 600 मीटर की दूरी तय करने के बाद तमसा नदी का उद्गम स्थल देखना अत्यंत आकर्षक तथा संतोष दायक सिद्ध होता है। पहाड़ी के ऊपर से आता हुआ पानी तीन छिद्रों के माध्यम से गुफा में गिरता है और नदी का रूप ले लेता है। इनमें से एक छिद्र बड़ा है और दो छिद्र छोटे हैं। यहीं से निकलकर बहता हुआ यह पानी तमसा नदी का नाम धारण कर लेता है। यहाँ से दक्षिण की ओर कुछ किलोमीटर जाने पर इसी के किनारे देहरादून का दूसरा रमणीय दर्शनीय स्थल टपकेश्वर महादेव-मन्दिर भी है, जहाँ इस नदी के किनारे वाल्मीकि ऋषि का आश्रम होने की याद में वाल्मीकि ऋषि की प्रतिमा भी बनी हुई है।
परिवर्तित नाम 'आसन'
तमसा यमुना की सहायक नदी है और देहरादून से 56 किलोमीटर दूर कालसी में यमुना से मिलने से पहले दोनों धाराओं के मिले हुए रूप का नाम आसन नदी हो जाता है। कालसी के पास इस नदी पर बैराज भी बन गया है।
कैमूर की पहाड़ी से निकलने वाली तमसा
यह नदी मध्यप्रदेश में कैमूर की पहाड़ियों में स्थित तमसा कुण्ड नामक जलाशय से निकलती है। उत्तर-पूर्वी दिशा में लगभग 64 किलोमीटर की पहाड़ी यात्रा के बाद यह मैदानी भाग में प्रवेश करके बेलन नदी से मिलती है तथा इलाहाबाद से 32 किलोमीटर दूर ही सिरसा के निकट गंगा नदी में मिल जाती है। इसकी कुल लंबाई लगभग 265 किलोमीटर है। इस के मार्ग में कई सुंदर जलप्रपात भी हैं।[2]
पुराण-प्रसिद्ध तमसा
वर्तमान में यह तमसा नदी अम्बेडकर नगर से निकलकर आज़मगढ़ होते हुए बलिया जिले में गंगा में मिलती है। इसकी लम्बाई 89 कि०मी० है। आजमगढ़ में यह नदी तीन तरफ से बहती है। शहर नदी से तीन तरफ से घिरा है। शहर की सुरक्षा के लिए टौंस एडवान्स एवं शहर सुरक्षा बांध बना है।[3]
तमसा का उल्लेख वाल्मीकीय रामायण में अयोध्या के निकट बहने वाली छोटी नदी के रूप में हुआ है।[4] वन जाते समय श्री राम लक्ष्मण और सीता ने प्रथम रात्रि तमसा-तीर पर ही बितायी थी। इससे स्पष्ट होता है कि रामायण तथा पुराणों में प्रसिद्ध तमसा यही है। वर्तमान में यह तमसा नदी अयोध्या (जिला फैजाबाद) से लगभग 12 मील दक्षिण में बहती हुई लगभग 36 मील के बाद अकबरपुर के पास बिस्वी नदी से मिलती है तथा इसके बाद संयुक्त नदी का नाम टौंस हो जाता है, जो कि तमसा का ही अपभ्रंश माना गया है। तमसा नदी पर अयोध्या से कुछ दूर पर वह स्थान भी बताया जाता है जहां श्रवण कुमार की मृत्यु हुई थी। अयोध्या से लगभग 12 मील दूर तरडीह नामक ग्राम है जहाँ स्थानीय किंबदंती के अनुसार श्री राम ने वनवास यात्रा के समय तमसा को पार किया था। वह घाट अभी भी रामचौरा के नाम से विख्यात है। यह टौंस नदी आजमगढ़ जिले में बहती हुई बलिया के पश्चिम में गंगा में मिल जाती है।[5]
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- http://hindi.indiawaterportal.org/node/28519
- उत्तर प्रदेश सामान्य ज्ञान, जैन एवं डॉ० सोलंकी, उपकार प्रकाशन, आगरा, पृष्ठ-26.
- https://m.jagran.com/uttar-pradesh/azamgarh-9307908.html
- श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण (सटीक), प्रथम भाग, अयोध्याकाण्ड-45-32; गीताप्रेस गोरखपुर, संस्करण-1996 ई०, पृष्ठ-303.
- ऐतिहासिक स्थानावली, विजयेंद्र कुमार माथुर, राजस्थान हिंदी ग्रंथ अकादमी, जयपुर, द्वितीय संस्करण-1990, पृष्ठ-391.