बाड़मेर जिला

बाड़मेर ज़िला भारत के राजस्थान राज्य का एक ज़िला है। ज़िले का मुख्यालय बाड़मेर है।[1][2][3] ज़िला मुख्यालय बाड़मेर के अलावा अन्य मुख्य कस्बे बालोतरा, गुड़ामलानी, बायतु, सिवाना, जसोल, चौहटन, धोरीमन्ना और उत्तरलाई हैं। बाड़मेर के पचपदरा में एक अत्याधुनिक रिफ़ाइनरी निर्माणाधीन है । ‌‌‍‍‌[4]

बाड़मेर ज़िला
Barmer district
सूचना
राजधानी :बाड़मेर
क्षेत्रफल :28,387 किमी²
जनसंख्या(2011):
  घनत्व :
26.04 lakh
 92/किमी²
उपविभागों के नाम:तहसील
उपविभागों की संख्या:17
मुख्य भाषा(एँ):हिन्दी, राजस्थानी
बाड़मेर के पास रेत के टीले
चौहटन में एक दृश्य
ज़िले की शिल्पकलाएँ प्रसिद्ध हैं - मध्य 20वीं शताब्दी की एक ओढ़नी
बालोतरा का बाज़ार

बाड़मेर के पहले शहीद मंगल सिंह राणावत थे जो कि द्वितीय विश्व युद्ध में वीरता से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए

रेवाडा जैतमाल उनका गॉव है

प्रशासनिक इकाइयां

  1. उपखण्ड: * बाड़मेर, * बालोतरा, * गुड़ामालानी, * सिवाना, * बायतु, * शिव, * चौहटन, * धोरीमना, * सेड़वा, * समदड़ी, * रामसर, * सिणधरी
  2. तहसीलें: * बाड़मेर, * सिवाना , * पचपदरा, * गुड़ामालानी, * बायतु, * शिव, * चौहटन, * धोरीमना, * समदड़ी, * रामसर, * सिणधरी, * सेड़वा, * धनाऊ, * गड़रारोड़, * गिड़ा
  3. पंचायत समितियाँ: * बाड़मेर, * सिवाना , * बालोतरा, * गुड़ामालानी,*आडेल , * बायतु, * शिव, * चौहटन, * धोरीमना, * समदड़ी, * रामसर, * सिणधरी, * सेड़वा, * धनाऊ, * गड़रारोड़, * गिड़ा, * कल्याणपुर, * पाटोदी

== बाड़मेर

(बाड़े र) नाम की व्युत्पत्ति ==

ऐतिहासिक रूप से 'बाड़मेर' जिले का नाम प्रसिद्ध ऐतिहासिक बाहड़ शासक राव (पंवार) परमार या बाहड़ राव परमार (पंवार) के नाम पर पड़ा माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि प्रसिद्ध बाहड़ शासक बाहड़ राव परमार (पंवार) ने 13 वीं सदी में इस बाड़मेर शहर की स्थापना की थी और तभी से यह शहर बाहड़मेर के नाम से जाना जाता है। वास्तव में 'बाहड़मेर' शब्द इसके संस्थापक शासक बाहड़ राव परमार (पंवार) के पहाड़ी किले से व्युत्पन्न है।

भूगोल

थार मरुस्थल का एक भाग बाड़मेर जिला, राजस्थान के पश्चिम में स्थित है। जिला उत्तर में जैसलमेर जिले, दक्षिण में जालौर जिले, पूर्व में पाली और जोधपुर जिले तथा पश्चिम में पाकिस्तान से घिरा है। जिले का कुल क्षेत्रफल 28387 वर्ग किमी है। जिला उत्तरी अक्षांश 24,58’ से 26, 32’ और पूर्वी देशान्तर 70, 05’ से 72, 52’ के मध्य स्थित है।

जिले में सबसे लंबी नदी लूणी नदी है। यह जालोर के मध्यम से गुजरकर कच्छ की खाड़ी के समीप की भूमि में ही सोख ली जाती है, और इसकी कुल लंबाई 480 किमी है। विभिन्न ऋतुओं में तापमान में बदलाव काफी अधिक है। गर्मियों में तापमान 51 डिग्री सेल्सियस तक और सर्दियों में यह शून्य डिग्री सेल्सियस (32° फैरनहाइट) तक चला जाता। एक साल में औसत वर्षा केवल 277 मिमी है, और मुख्य रूप से बाड़मेर जिला एक रेगिस्तान है। फिर भी, 16 और 25 अगस्त 2006 के बीच 549 मिमी की चरम वर्षा से आई बाढ़ की वजह से कई लोग मारे गए और भारी नुकसान हुआ।

मुख्य आकर्षण

- बाटाड़ू का कुआँ

संंगमरमर से निर्मित यह कुआँ बायतू तहसील के बाटाड़ू कस्बे में बना हुआ है। कलात्मकता व धार्मिक आस्था का केंद्र यह कुआं ऐतिहासिक धरोहर के रूप में जाना जाता है। राजस्थान के इतिहास में इस कुएं को जलमहल के नाम से जाना जाता है। रियासतकालीन यह कुआं जो बीते कई दशकों से बाटाड़ू एवं आस-पास के गांवों के लिए पीने के पानी का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत रहा है,हालांकि अभी वहां पर केयर्न कंपनी द्वारा पानी को 'RO filtered' करके 'Water ATM' के जरिए भी उपलब्ध करवाया जा रहा है। लेकिन फिर भी इस कुऐं का महत्व कम नहीं हुआ है,आजकल के युवा इसका महत्व जानकर इस ऐतिहासिक स्थल पर 'सेल्फ़ी क्लिक' करते अमूमन नज़र आ जाते हैंं।

इसलिए ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है यह कुआं

बाटाडू मुख्यालय पर स्थित यह कुआं 60 फीट लंबा, 35 फीट चौड़ा, 6 फीट ऊंचा व 80 फीट गहरा है। कुएं की उत्तर दिशा में एक बड़ा कुंड बना है, जिसकी गहराई 5 फीट है। इस कुंड के बीच में एक मकराना निर्मित पत्थर के स्टैंड के ऊपर बड़े आकार में संगमरमर की गरुड़ प्रतिमा बनी हुई है,जिस पर भगवान विष्णु अपनी पत्नी लक्ष्मी के साथ विराजित है। जो कुएं का मुख्य आकर्षक है। इस कुएं पर जाने के लिए एक मुख्य द्वार तथा एक निकासी द्वार है। इस दोनों द्वार पर दो सिंह प्रतिमाएं लगी हुई है। इसके चारों ओर श्लोकों के साथ ही कई राजा-महाराजाओं और देवी-देवताओं की कला का वर्णन किया गया है। इसके साथ ही यहां पर संस्कृत में उत्कीर्ण श्लोकों में गाय की महिमा का वर्णन किया हुआ है।

सिणधरी रावल ने करवाया था निर्माण

सन् 1947 के काल में मारवाड़ क्षेत्र में भयंकर अकाल पड़ा। उस दौरान यहां के लोग रोजी रोटी की तलाश में बाहर जाने के लिए मजबूर हुए और दूर-दूर तक कहीं पीने का पानी उपलब्ध नहीं था। ऐसी स्थिति को देखते हुए सिणधरी रावल गुलाबसिंह ने इस कुएं का निर्माण करवाया था।

विरात्रा माता का मेला

चोहटन तहसील से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित विरात्रा में मेला आयोजित किया जाता है। यहाँ साल में तीन बार चैत्र, भाद्रपद तथा माघ में वांकल देवी की पूजा का मेला लगता है। विरात्रा माता की मूर्ति की स्थापना वीर विक्रमादित्य ने की थी। वांकल देवी के पुजारी गहेलड़ा परमार जिनको आदर भाव से भोपा भी कहा जाता है , यहां पर देवी की पूजा करते है। गहेलड़ा( भोपा) पांच गाँवो घोनिया , ढोक , सनाउ , जसाई और परो में निवास करते है। इस स्थान पर मूर्ति लाते हुए विक्रमादित्य ने रात्रि विश्राम किया था।

जसोल

एक समय में जसोल मालानी का प्रमुख क्षेत्र था। रावल मल्लीनाथ के नाम पर परगने का नाम मालानी पङा, इस प्राचीन गांव का नाम राठौड़ उपवंश के वंशजों के नाम पर पड़ा। यहां पर स्थित जैन मंदिर और हिंदु मंदिर जसोल के मुख्य आकर्षण हैं। यहां एक चमत्कारिक देवी माता रानी भटीयाणी का मन्दिर है।

वैर माता मंदिर

वैर माता मंदिर - यह पहाड़ी के पीछे स्थित हिंदू मंदिर है जो मुख्य चोहटन शहर में है। शहर और मंदिर के बीच की दूरी 4 किमी है। इस मंदिर के पास 100 मीटर से अधिक ऊँची रेत के टीले

खेमा बाबा मंदिर बायतु

एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल जो बायतु तहसील में पड़ता हैं जो खेमा बाबा के नाम से प्रसिद्ध हैं यहाँ पर जाट तथा अन्य जातियां धोक लगाती हैं तथा आराधना करती हैं यहां पर सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति को लाने से लाभ मिलता हैं यहाँ पर मेला लगता हैं जिसमे हजारो की संख्या में भक्तगण आते हैं भक्तगण बाड़मेर, जोधपुर, जैसलमेर, नागौर, जालोर तथा अन्य जिलों से आते हैं बाड़मेर जिले से यह स्थल 50 किमी जोधपुर रोड पर तथा जोधपुर रेलवे लाइन पर पड़ता हैं

बोथिया

यह जैसलमेर रोड पर बसा हुआ एक गाँव है.यहाँ पर राजपुरोहित जाति का निवास जिनकी जनजाति भी बोईतिया है यह पुराने वक़्त के जागीरदारों से बसाया गया गाँव है.यहाँ पर ASIA की सबसे बड़ी Open Mine है.यहाँ तेल के बड़े कुएँ भी है जो गुजरात जमानगर से जुड़ते है.साल २००८ के बाद बाड़मेर के लोगों को आय स्रोत तेल उध्योग है यहाँ तेल के कई बड़े बड़े उध्योगपति है जो बाड़मेर मैं समाजसेवी का ऊँचा दर्जा रखते है इनमे शामिल है तनसिंघ चौहान(उध्योगपति ओर समाजसेवी) रामसिंह बोथिया (उध्योगपति,समाजसेवी,बोथिया के सरपंच


H=== हरसाणी === यह बाडमेर-गिराब और शिव-गडरारोड सडक के मिलन स्थल पर एक चोराहे पर आया हुआ है यहाँ एक माल्हण बाई का चमत्कारिक मन्दिर है।

जानसिह की बेरी

यह ग्राम शिव-गडरारोड मार्ग पर शिव से 43 किलोमिटर पर आया हुआ है यहाँ एक सच्चियाय माता क मन्दिर है।

खेड़

राठौड़ वंश के संस्थापक राव सिहा और उनके पुत्र ने खेड़ को गुहिल राजपूतों से जीता और यहां राठौड़ों का गढ़ बनाया। रणछोड़जी का विष्णु मंदिर यहां का प्रमुख आकर्षण है। मंदिर के चारों और दीवार बनी है और द्वार पर गरुड़ की प्रतिमा लगी है जिसे देख कर लगता है मानो वे मंदिर की रक्षा कर रहे हों। पास ही ब्रह्मा, भैरव, महादेव और जैन मंदिर भी हैं। जो सैलानियो का मुख्य आकर्षण का केन्द्र है। गुहिल राजपूत यहाँ से भावनगर चले गये और १९४७ तक शासन किया।

मेहलू

जिला मुख्यालय से 41 किलोमीटर दूर मेहलू गांव स्थिति है यहां धर्मपुरी जी का मंदिर है तथा यहां विशाल मेला भरता है . Dharmpuri ki katha v bhajan ke gayak- shri Tej bharti Goswami Sanawara hai. Fact knowladge By PPG.

Nagnechi Mata Ka Mandir

Rathore kul ki kuldevi Nagnechi Mata ka mandir he

इन्हें भी देखें

  • PADHARO MHARE DESH
  1. "Uttar Pradesh in Statistics," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716
  2. "Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975
  3. "बाड़मेर जिला के बारे में जानकारी, तथ्य और सभी प्रकार के मानचित्र". भारत का मैप (नक्शा), हिंदी एटलस, इंडिया मैप, Bharat ka Naksha. Dec 12, 2016. अभिगमन तिथि Dec 3, 2017.
  4. Sudhir sharma (2017-10-16). "'बाड़मेर रिफायनरी का नवंबर में किया जाएगा शिलान्यास'– News18 हिंदी". News18 India. अभिगमन तिथि 2017-12-03.
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