मनोहरथाना किला
मनोहार थाना के लोकप्रिय राजा रहे राजा मनोहर भील और राजा चक्रसेन भील जिनके द्वारा निर्मित परकोटे आज भी देखे जा सकते हैं ।
कालीखाड़ व परवन नदी के संगम पर स्थित यह प्राचीन इमारत पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है, लेकिन इसको जीर्णोद्धार की जरूरत है। इस प्राचीन समय की इमारतों का इतिहास आज भी गौरवपूर्ण एवम रोमांचकारी है। कोटा रियासत का एक परगना मनोहरथाना शामिल है , जो राजस्थान में मध्यप्रदेश की सीमा पर बसा हुआ है दोनों ओर बहने वाली परवन एवं कालीखाड़ नदी पर बसे किले का नजारा बारिश के समय यह दृश्य बहुत ही सुंदर मधुर एवं मनोहर रहता है, जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती। [1]
इतिहास
भील राजा चक्र रहे लोकप्रिय शासक
प्राचीन काल में भील राजा चक्र से इस परगने के लोकप्रिय शासक थे जिनके परिवार के सदस्य आज भी ओंकारनाथ में निवास करते है। किले का एक हिस्सा दो नदियों के संगम से सुरक्षित है तो दूसरा हिस्सा दोनों नदियों के पानी संग्रहण से सुरक्षित है। किले में मुख्य द्वार की ओर गहरी खाई है इस पर पुलिया बनी हुई है, जहां से किले में प्रवेश करने का मुख्य द्वार है। किला परिसर में भीलों की आराध्य देवी दुर्गा मंदिर, काली माता मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर है। जहां अभी भी स्थानीय श्रद्धालु पूजा अर्चना के लिए जाते है। यहां पर नवरात्र के दिनों में धार्मिक आयोजन होते है। अखंड रामायण का पाठ होता है। किले में स्थित मंदिरों में रखी मूर्तियां भी काफी प्राचीन है। ऐतिहासिक किले में महल, रेस्ट हाउस एवं संगीन अपराधी रखने के लिए भवन खंडहर में स्थित है। राजशाही समाप्त होने के बाद ऐतिहासिक इमारतों की जो हालत हुई उससे यह किला भी अछूता नहीं है पुरातत्व विभाग की अनदेखी से यह इमारत दुर्दशा की शिकार हो रही है।