शाहु
छत्रपति शाहु (१६८२-१७४९) मराठा [1] सम्राट और छत्रपति शिवाजी के पौत्र और सम्भाजी का बेटे थे। ये ये छत्रपति शाहु महाराज [2][3] के नाम से भी जाने जाते हैं।
छत्रपति शाहु | |
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शासनावधि | 1708 - 1749 CE |
राज्याभिषेक | १२ जनवरी १७०८ सातारा |
पूर्ववर्ती | शिवाजी द्वितीय |
उत्तरवर्ती | राजाराम द्वितीय |
जन्म | १८ मई १६८२ गांगुली गांव |
निधन | १५ दिसम्बर १७४९ रंगमहल सातारा |
घराना | भोंसले |
पिता | सम्भाजी |
माता | येसूबाई |
धर्म | हिन्दू |
छत्रपति शाहूजी महाराज का जन्म 1682गांगुली गांव में हुआ था 12 जनवरी 1708 में इन का राज्याभिषेक हुआ इनको मुगल बादशाह बहादुर शाह प्रथम ने छोड़ दिया क्योंकि वह चाहते थे कि उनको मित्र बनाया जाए तथा ताराबाई को परास्त कर ले और मराठा साम्राज्य को मुगलों के खिलाफ हटा ले और हमारे मित्र बन जाए शाहू ने ताराबाई को पराजित कर दिया। गद्दी प्राप्त करते ही ताराबाई को कोलहापुर दे दिया और स्वयं ही पूरे मराठा साम्राज्य को संभालना शुरू कर दिया। उन्होंने 1713 मे बालाजी विश्वनाथ को पेशवा चुना। क्योंकि उन्हें दूसरे मंत्रीओ पर कुछ खास विश्वास नहीं था बालाजी विश्वनाथ बहुत ही योग्य व्यक्ति थे।बालाजी विश्वनाथ ने 1717 ईस्वी में मुगल वजीर सैयद बंधुओं की सहायता से दक्कन में सरदेशमुखी और चौथ वसूलने का अधिकार प्राप्त कर लिया और उन्होंने साथ ही साथ शाहू की माता जिनका नाम येसुबाई था उनको भी मुगल कैद से छुड़वाया इस बात से छत्रपति शाहू से काफी खुश हो गए और मुगल सम्राट फर्रूखसियर इस बात से काफी नाराज हो गया कि शायद सैयद बंधु ने बिना उसकी राय के यह कदम उठाया और बाद में सैयद बंधुओं ने ही उसका का कत्ल करवा दिया। सन 1720 में बालाजी विश्वनाथ का निधन हो गया उसके बाद में ही उन्होंने बालाजी विश्वनाथ के पुत्र बाजीराव प्रथम को पेशवा नियुक्त कर दिया और वे चितपावन ब्राह्मण थे। बाजीराव प्रथम को उन्होंने 1720 में पेशवा नियुक्त किया बाजीराव प्रथम ने अपने 20 वर्ष के शासनकाल में 1740 तक मराठा साम्राज्य का संपूर्ण मध्य भारत में कर दिया उन्होंने 1728 में निजाम को पालखेड में एक अविश्वसनीय तरीके से मात दी। उन्होंने 1738 में दिल्ली पर चढ़ाई की और दिल्ली में भयानक लूट मचाई 1738 में उन्होंने निजाम को भोपाल में पराजित कर संपूर्ण मालवा क्षेत्र अपने अधिकार में कर लिया 1736 में जंजीरा की सिद्धियों को पराजित कर और भी नष्ट कर दिया और उन्होंने संपूर्ण भारत के साथ राजस्थान में भी अपना प्रभाव उत्पन्न कर लिया। बाजीराव का बहुत ही बड़ा योगदान रहा। बाजीराव और उनके भाई चिमाजी अप्पा ने 1739 में पुर्तगालियों को बेसिन में हराया और वसई की संधि कर ली। 1739 में पुर्तगालियों को बुरी तरह से पराजित करने के बाद बाजीराव ने नासिर जंग जो हैदराबाद के निजाम बनने वाले थे उनको पराजित किया रावेर खेड़ी में 1740 इसमें बाजीराव प्रथम की मृत्यु हो गई बाजीराव प्रथम की मृत्यु के बाद उन्होंने बाजीराव प्रथम के पुत्र बालाजी बाजीराव पेशवा नियुक्त किया। और बालाजी बाजीराव ने कर्नाटक के साथ-साथ बंगाल में भी अपना प्रभुत्व स्थापित किया और अपने अंतिम 9 सालों में छत्रपति शाहूजी महाराज को पूरी तरीके से मध्य भारत और दक्षिण पूर्वी भारत परंतु वहां के नवाब अलीवर्दी खान ने उन्हें रोक कर रखा छत्रपति शाहू की मृत्यु के बाद 1749 इसी में उनकी मृत्यु हो गई। जिसके बाद छत्रपति का पद मात्र नाम मात्र का ही रह गया और आगे आने वाली सभी छत्रपति पेशवा के अधीन रहे।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- Biswamoy Pati, संपा॰ (2000). Issues in Modern Indian History. Popular. पृ॰ 30. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788171546589.
- A. Vijaya Kumari, Sepuri Bhaskar. "Social change among Balijas: majority community of Andhra Pradesh". MD. अभिगमन तिथि 2011-06-24.
- Sen, Sailendra (2013). A Textbook of Medieval Indian History. Primus Books. पपृ॰ 201–202. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-9-38060-734-4.