चना

चना चना एक प्रमुख दलहनी फसल है। चना के आटे को बेसन कहते हैं।

चना
Chickpea
बाएं: बंगाल किस्म; दाएं: यूरोपियाइ किस्म
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत: पादप
विभाग: मैग्नोलियोफाइटा
वर्ग: मैग्नोलियोडा
गण: Fabales
कुल: Fabaceae
उपकुल: Faboideae
वंश: Cicer
जाति: C. arietinum
द्विपद नाम
Cicer arietinum
L.

काबुली चना

चने की ही एक किस्म को काबुली चना या प्रचलित भाषा में छोले भी कहा जाता है। ये हल्के बादामी रंग के काले चने से अपेक्षाकृत बड़े होते हैं। ये अफ्गानिस्तान, दक्षिणी यूरोप, उत्तरी अफ़्रीका और चिली में पाए जाते रहे हैं। भारतीय उपमहाद्वीप में अट्ठारहवीं सदी से लाए गए हैं, व प्रयोग हो रहे हैं।[1]

चने की खेती

फूल और फल सहित चने का पौधा
A - चने का तना, शाखाएँ एवं पत्तियाँ;
B - चने की फली (तने के साथ लगी हुई);
C - चने का बीज या दाना
Cicer arietinum noir

नीचे चना की उन्नत उत्पादन तकनीक दी गयी है जो उत्तरी भारत के लिये विशेष रूप से लागू होती है-

बुआई का समयः समय पर बुआई 1-15 नवंबर व पछेती बुआई 25 नवंबर से 7 दिसंबर तक

  • बीज की मात्राः मोटे दानों वाला चना 80-100 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर ; सामान्य दानों वाला चनाः 70-80 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर
  • बीज उपचारः बीमारियों से बचाव के लिए थीरम या बाविस्टीन 2.5 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज के हिसाब से उपचारित करें। राइजोबियम टीका से 200 ग्राम टीका प्रति 35-40 कि.ग्रा. बीज को उपचारित करें।
  • उर्वरकः उर्वरकों का प्रयोग मिट्टी परीक्षण के आधार पर करें।
नत्रजनः 20 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर (100 कि.ग्रा. डाई अमोनियम फास्फेट)
फास्फोरसः 50 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर
जिंक सल्फेटः 25 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर
  • बुआई की विधिः चने की बुआई कतारों में करें। गहराईः 7 से 10 सें.मी. गहराई पर बीज डालें। कतार से कतार की दूरीः 30 सें.मी. (देसी चने के लिए) ; 45 सें.मी. (काबुली चने के लिए)
  • खरपतवार नियंत्रणः

फ्रलूक्लोरेलिन 200 ग्राम (सक्रिय तत्व) का बुआई से पहले या पेंडीमेथालीन 350 ग्राम (सक्रिय तत्व) का अंकुरण से पहले 300-350 लीटर पानी में घोल बनाकर एक एकड़ में छिड़काव करें। पहली निराई-गुड़ाई बुआई के 30-35 दिन बाद तथा दूसरी 55-60 दिन बाद आवश्यकतानुसार करें।

  • सिंचाईः यदि खेत में उचित नमी न हो तो पलेवा करके बुआई करें। बुआई के बाद खेत में नमी न होने पर दो सिंचाई, बुआई के 45 दिन एवं 75 दिन बाद करें।

पौध संरक्षण

कटुआ सूंडी (एगरोटीस इपसीलोन) 

इस कीड़े की रोकथाम के लिए 200 मि.ली. फेनवालरेट (20 ई.सी.) या 125 मि.ली. साइपरमैथ्रीन (25 ई.सी.) को 250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से आवश्यकतानुसार छिड़काव करें।

फली छेदक (हेलिकोवरपा आरमीजेरा)

यह कीट चने की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है। इससे बचाव के लिए 125 मि.ली. साइपरमैथ्रीन (25 ई. सी.) या 1000 मि.ली. कार्बारिल (50 डब्ल्यू.पी.) को 300-400 लीटर पानी में घोल बनाकर उस समय छिड़काव करें जब कीड़ा दिखाई देने लगे। यदि जरूरी हो तो 15 दिन बाद दोबारा छिड़काव करें।

उक्ठा रोगः

इस रोग से बचाव के लिए उपचारित करके ही बीज की बुआई करें तथा बुआई 25 अक्टूबर से पहले न करें।

जड़ गलनः

इस रोग के प्रभाव को कम करने के लिए रोगग्रस्त पौधों को ज्यादा न बढ़ने दें। रोगग्रस्त पौधों एवं उनके अवशेष को जलाकर नष्ट कर दें या उखाड़कर गहरा जमीन में दबा दें। अधिक गहरी सिंचाई न करें।

चना के उत्पादन का विश्व वितरण

चना का सबसे ज्यादा उत्पादन भारत में होता है।

2013 में चने (Chickpea) का उत्पादन
१९६१ से २०१३ तक चने (Chickpea) का उत्पादन
चने के प्रमुख उत्पादक देश
(मीट्रिक टन में)
उत्पादक रैंक (2013) देश 2010 2011 2012 2013
1 भारत7,480,0008,220,0007,700,0008,832,500
2 ऑस्ट्रेलिया602,000513,338673,371813,300
3 पाकिस्तान561,500496,000291,000751,000
4 तुर्की530,634487,477518,000506,000
5 म्यान्मार441,493473,102500,000490,000
6 इथियोपिया284,640322,839409,733249,465
7 ईरान267,768290,243315,000295,000
8 मेक्सिको131,89572,143271,894209,941
9 कनाडा128,30090,800161,400169,400
10 संयुक्त राज्य87,95299,881151,137157,351
विश्व10,897,04011,497,05411,613,03713,102,023
Source: FAO[2] Source: FAO[3]

इन्हें भी देखें

दाल

चने को दल कर दोनो पत्रक अलग अलग होने पर चने की दाल मिलती है। चने की दाल का प्रयोग भोजन में विशेष रूप से किया जाता है। ये अत्यधिक गुणकारी होती है। इसकी दाल को पीस कर आटा प्राप्त किया जाता है जिसे सामान्य भाषा मे बेसन कहा जाता है। बेसन से भारत मे कई प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन बनाये जाते है जैसे बेसन चक्की , बेसन के चीले, आलूबड़े आदि।

सन्दर्भ

  1. "Production of Chickpea by countries". UN Food & Agriculture Organization. 2011. अभिगमन तिथि 2013-08-28.
  2. "Production of Chickpea by countries". UN Food & Agriculture Organization. 2014. अभिगमन तिथि 2014-11-13.

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

This article is issued from Wikipedia. The text is licensed under Creative Commons - Attribution - Sharealike. Additional terms may apply for the media files.