मुण्डा

मुंडा भारत की एक जनजाति है, जो मुख्य रूप से झारखण्ड के छोटा नागपुर क्षेत्र में निवास करता है| झारखण्ड के अलावा ये बिहार, पश्चिम बंगाल, ओड़िसा आदि भारतीय राज्यों में भी रहते हैं| इनकी भाषा मुंडारी आस्ट्रो-एशियाटिक परिवार की एक प्रमुख भाषा है| उनका भोजन मुख्य रूप से धान, मड़ूआ, मक्का, जंगल के फल-फूल और कंध-मूल हैं | वे सूत्ती वस्त्र पहनते हैं | महिलाओं के लिए विशेष प्रकार की साड़ी होती है, जिसे बारह हथिया (बारकी लिजा:) कहते हैं | पुरुष साधारण-सा धोती का प्रयोग करते हैं, जिसे तोलोंग कहते हैं | मुण्डा, भारत की एक प्रमुख जनजाति हैं | २० वीं सदी के अनुसार उनकी संख्या लगभग १,०००,००० थी |[1]

मुंडा
मुंडा समुदाय का एक आदमी
कुल जनसंख्या

1,000,000[1]

ख़ास आवास क्षेत्र
 भारत
भाषाएँ
मुंडारी
धर्म
सरना धर्म, परम्परागत धर्म तथा अन्य
अन्य सम्बंधित समूह
सांथाल   खड़िया

इतिहास

मुंडा लोगों का प्रागितिहास अस्पष्ट है। यद्यपि उन्हें छोटा नागपुर में कैसे आए, यह विवादित है, लेकिन इस बात पर सहमति है कि आधुनिक मुंडा भाषाओं के बोलने वाले पूर्वजों ने महाद्वीपीय दक्षिण पूर्व एशिया के ऑस्ट्रोआयसटिक मातृभूमि से पश्चिम की ओर पलायन किया था।

भाषाविद, पॉल सिडवेल (2018) के अनुसार, प्रोटो-मुंडा भाषा शायद ऑस्ट्रोएशियाटिक से अलग हो गई है जो आज दक्षिणी चीन या दक्षिण पूर्व एशिया से लगभग 4000-3500 साल पहले पूर्वी भारत में आया।[2]

1800 के दशक के अंत में, मुंडा स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा ने भारत के ब्रिटिश शासन का विरोध करने का काम किया था।[3]

संस्कृति

मुण्डा नृत्य

मुण्डा संस्कृति की सामाजिक व्यवस्था बहुत ही बुनियादी और सरल है | मुण्डाओं के लिए भारतीय जाति व्यवस्था विदेशी है | उनके दफनाए गए पूर्वज परिवार के अभिभावक के रूप मे याद किए जाते हैं | दफन पत्थर (ससंदीरी) उनका वंशावली का प्रतीक है | यह पत्थर सुलाकर धरती पर रखी जाती है पर कब्र के रूप में चिन्हित नहीं होता | बल्कि, मृतकों के हड्डियों को इस पत्थर के तहत रखते हैं, जहाँ पिछले पूर्वजों की हड्डियाँ भी मौजूद हैं | जब तक कब्रिस्तान (जंग तोपा) समारोह नहीं होता तब तक मृतकों के हड्डियों को मिट्टी के बर्त्तन में रखा जाता है | हर वर्ष में एक बार, परिवार के सभी सदस्य अपनी श्रद्धाञ्जलि देने के लिए दफन पत्थरों पर जाते हैं और यह आवश्यक माना है | पूर्वजों को याद करने के लिए अन्य पत्थर भी हैं जिन्हें मेमोरियल पत्थर (भो:दीरी) कहा जाता है | यह पत्थर खड़े स्थिति में रखा जाता है | इस पत्थर को रखने के लिए भी समारोह होता है जिसे पत्थर गड़ी (दीरी बीन) पर्ब कहते हैं |

प्राचीन काल से ही मुण्डा लोग छोटानागपुर क्षेत्र सहित आसपास के क्षेत्रों में भी फैल गए हैं | शुरुआती समय में वे लोग अलग-अलग समूहों में, पर एक ही उपनाम (किली,गोत्र) में बसे | हालांकि अब वे लोग अपनी-अपनी इच्छा के अनुसार पूरे झारखण्ड में बसे हैं | पुराने समय से अभि तक मुण्डा लोगों की संस्कृति के अनुसार वे एक ही गोत्र या उपनाम मे शादी नहीं कर सकते हैं | यदि कोई शादी कर भी लिया तो उन्हें कड़ी-से-कड़ी सजा दी जाती है | उस सजा या दण्ड को जात निकाला (देशाबाहर) कहते हैं | एक दुल्हन और एक दुल्हे के एक ही गोत्र में शादी होना अनाचार माना जाता है और इस तरह यह रिश्ता सामाजिक अवांछनीय है | गोत्र का अर्थ है-खून का रिश्ता | एक ही उपनाम या गोत्र के संबंध, भाई और बहन के संबंध की तरह माना जाता है | संथाल, हो और खड़िया रक्त-भाई आदिवासियों की समुदाय माना जाता है | अत: उनके साथ शादी करना आम है |[4]

धर्म और जनजातियों की पहचान

ज्यादातर मुण्डा लोग सरना धर्म को मानते हैं | वे एक ईश्वर पर विश्वास करते हैं जो सिंगबोंगा कहलाता है | तथापि एक-चौथाई मुण्डा लोगों ने ईसाई धर्म को अपनाया है | ईसाई धर्म में कुछ मुण्डा लोगों ने रोमन कैथोलिक और कुछ ने प्रोटेस्टेंट धर्म अपनाया है | एक मुण्डा का उपनाम प्राकृतिक तत्वों, पेड़, पशु, पक्षी या किसी भी प्रकृति संबंधित वस्तु पर आधारित है जो छोटानागपुर क्षेत्र में पाए जाते हैं | नीचे लिखे गये उपनाम मुण्डा लोगों में आम है:-

आईंद (दुर्लभ नदी मछली के प्रजातियाँ), बागे (कुम्हार, अंजीर वृक्ष की प्रजातियाँ), भेंगरा, भूईंया (पृथ्वी), बोदरा, बुढ़, चौरिया (चूहा), डोडराय, गुड़िया, हेम्बरोम, हेरेंज, होनहगा (छोटे भाई), होरो (कछुआ), जोजो (इमली), कण्डुलना, कण्डीर (शेर), डाँग, देम्ता (वृक्ष चींटी की प्रजाति), कौरिया, केरकेट्टा, कोनगाड़ी (दुर्लभ पक्षी की प्रजाति), लुगून, लोम्गा, मुण्डू, पूर्ति, सम्मद, संगा, सोय, सुरिन (सफेद रंग का हंस की प्रजातियों के पक्षी)| मुण्डा समुदाय के कुछ और भी उपनाम हैं जो यहाँ वर्णित नहीं किया गया है | बहुत लोग अपना गोत्र या उपनाम के जगह मुण्डा लिखना पसन्द करते हैं |[5]

उल्लेखनीय मुंडा व्यक्ति

बिरसा मुंडा

सन्दर्भ

  1. Munda http://global.britannica.com/EBchecked/topic/397427/Munda
  2. Sidwell, Paul. 2018. Austroasiatic Studies: state of the art in 2018. Presentation at the Graduate Institute of Linguistics, National Tsing Hua University, Taiwan, May 22, 2018.
  3. Pandey, Prashant (2017-09-18). "Jharkhand: Amit Shah launches scheme for villages of freedom fighters". The Indian Express (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2017-10-21.
  4. http://en.wikipedia.org/wiki/Munda-people
  5. http://www.indanmirror.com/tribes/mundatribe.html

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

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