लूणी नदी

लूनी यह नदी अरावली पर्वत के निकट नाग पहाड(snake mount) से उत्पन्न होकर दक्षिण पश्चिम क्षेत्र में प्रवाहित होते हुए कच्छ के रन में जाकर मिलती है।[1]यह नदी जैतारण के लोटोती से भी निकलती है व रास से भी निकलती है इस नदी का पानी उद्गम स्थान से लेकर बालोतरा(बाडमेर) तक मीठा होता है लेकिन बालोतरा में पहुंचता है उसके बाद उसका पानी खारा हो जाता है| कुल लम्बाई- 495 किमी.(राजस्थान में 330 किमी.) सहायक नदियाँ - जोजडी, मीठडी,लीलडी, बाण्डी, सुकडी जवाई, खारी,सगाई, सागी, गुहिया। > महाकवि कालिदास ने (अंत:सलिला) कहा था। >प्राचीन नाम {लवण्वती}

लूनी नदी के स्त्रोत

नामाकरण

"लूनी" का नाम लवणाद्रि तथा संस्कृत शब्द लवणगिरि (नमकीन नदी,) से लिया गया है और अत्यधिक लवणता के कारण इसका यह नाम पड़ा है।

उद्गम

पश्चिमोत्तर भारत के राजस्थान राज्य अजमेर के निकट अरावली श्रेणी की नाग पहाड़ी के पश्चिमी ढलानों में उद्गम, जहां इसे सागरमती के नाम से जाना जाता है।[2]

प्रकृति

पश्चिमी ढलानों से यह नदी आमतौर पर दक्षिण-पश्चिम की ओर पहाड़ियों से होती हुयी इस प्रदेश के मैदानों के पार बहती है। फिर यह रेगिस्तान के एक भाग से होकर अंतत: गुजरात राज्य के कच्छ के रण के पश्चिमोत्तर भाग की बंजर भूमि में विलुप्त हो जाती है।

अपवाह

लूनी एक मौसमी नदी है और इसका अपवाह मुख्यत: अरावली श्रेणी की दक्षिणी-पश्चिमी ढलानों से होता है। जोवाई, सुकरी और जोजारी इसकी प्रमुख सहायक नदियां है।

योगदान

495 की मी. लंबी धारा वाली लूनी इस क्षेत्र की एकमात्र प्रमुख नदी है और यह सिंचाई का एक अनिवार्य स्रोत है। राजस्थान में ल.330 की.मी.है।

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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