शुजाउद्दौला

शुजाउद्दौला (१९ जनवरी१७३२, दारा शिकोह के महल में, दिल्ली – १७७५) अवध के नवाब थे। उन्हें वज़ीर उल ममालिक ए हिंदुस्तान, शुजा उद् दौला, नवाब मिर्ज़ा जलाल उद् दीन हैदर खान बहादुर, अवध के नवाब वज़ीर आदि नामों से भी जाना जाता था। अवध का साम्राज्य उस समय औरंगज़ेब की मौत की वजह से मुग़ल साम्राज्य के पतन के बाद एक छोटी रियासत बन गया था। एक छोटे शासक होने के बावजूद वे भारत के इतिहास के दो प्रमुख युद्धों में भाग लेने के लिए जाने जाते हैं - पानीपत की तीसरी लड़ाई, जिसने भारत में मराठों का वर्चस्व समाप्त किया और बक्सर की लड़ाई, जिसने अंग्रेज़ों की हुकूमत स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई।

शुजाउद्दौला
अवध के नवाब वज़ीर
Shuja-ud-daula, Nawab of Oudh
अवध के नवाब शुजाउद्दौला
शासनावधि१७५३-१७७५
पूर्ववर्तीसफ़दरजंग
पुत्रआसफ़ुद्दौला
जन्म१९ जनवरी १७३२
दारा शिकोह का महल, दिल्ली
निधन१७७५

पानीपत की तीसरी लड़ाई

शुजा पानीपत की तीसरी लड़ाई में किस पक्ष को समर्थन दें, यह इस युद्ध के नतीजे के लिए अहम साबित होने वाला था, क्योंकि अफ़ग़ानियों ने मराठों की रसद काट दी थी जिसकी वजह से खाने की कमी हो गई थी। इसी लिए मराठों को पूरे दिन के युद्ध में विरोधी भारी पड़े। भूख और सूरज की ओर मुँह कर के लड़ने की वजह से वे कमज़ोर पड़ गए थे।

शुजा को शुरुआती दौर में यह पक्का नहीं था कि वे पानीपत की तीसरी लड़ाई में किसकी तरफ़ रहेंगे। मराठा उस समय काफ़ी दक्षिण में थे और शुजा के राज्य तक पहुँचने में उन्हें काफ़ी समय लगना था। अतः अपनी ज़मीन पर अब्दाली और उसकी विशाल सेना का लिहाज़ करते हुए उन्होंने (झिझक के साथ ही) अफ़ग़ानों और नजीब (नजीबुद्दौला) का साथ देने का फ़ैसला लिया)। उनकी माँ की राय थी कि उन्हें मराठों का साथ देना चाहिए क्योंकि उन्होंने उनके पिताजी की कई अवसरों पर पहले मदद की थी। लेकिन अंततः अहमद शाह दुर्रानी के नेतृत्व वाले अफ़ग़ानों को ही उन्हें समर्थन देना पड़ा, क्योंकि उनकी सेना गंगा की बाढ़ पार कर के उनके राज्य में घुस आई थी।

बक्सर की लड़ाई

शुजा को बक्सर की लड़ाई में भाग लेने के लिए भी जाना जाता है। यह युद्ध भारत के इतिहास में एक अहम मोड़ था। वे शाह आलम द्वितीय और मीर क़ासिम की सेनाओं के साथ लड़े थे और अंग्रेज़ सेना ने इन्हें पस्त किया था। यह भारत में अंग्रेज़ हुकूमत स्थापित करने की दिशा में एक अहम लड़ाई थी।

उत्तराधिकार शृंखला

पूर्वाधिकारी
अबू अल मंसूर मोहम्मद मोक़िम खान
सूबेदार अवध के नवाब
५ अक्तू १७५४ १५ फ़र १७६२
उत्तराधिकारी
पद समाप्त
पूर्वाधिकारी
नया पद
नवाब वज़ीर अल ममालिक ए अवध
१७ फ़र १७६२ २६ जन १७७५
उत्तराधिकारी
आसफ़ अद् दौला अमनी

बाहरी कड़ियाँ

This article is issued from Wikipedia. The text is licensed under Creative Commons - Attribution - Sharealike. Additional terms may apply for the media files.